अंजुमन इस्लामिया की जांच समिति मौलाना आजाद कॉलेज पहुंची, शासी निकाय के बारे में ली जानकारी, अब सौंपी जाएगी रिपोर्ट

न्यूज स्टॉपेज डेस्क
अंजुमन इस्लामिया की जांच समिति मंगलवार को मौलाना आजाद कॉलेज पहुंची। कॉलेज में गठित शासी निकाय के बारे में समिति ने प्राचार्य परवेज अहमद और अस्सिटेंट प्रोफेसर इलियास मजीदी से जानकारी हासिल की। अब जांच समिति की ओर से यह रिपोर्ट अंजुमन इस्लामिया रांची को ऑफिशियली रूप से दी जाएगी। इधर, प्राचार्य से जानकारी लेने के दौरान जांच समिति के डॉ तारीक हुसैन, शाहीन अहमद, शाहीद अख्तर टुकलू, अयूब राजा खान और मो नकीब के अलावा अंजुमन के उपाध्यक्ष मो नौशाद, सदस्य जावेद अख्तर समेत अन्य मौजूद थे। मालूम हो कि मौलाना आजाद कॉलेज के शासी निकाय गठन की जांच को लेकर अंजुमन इस्लामिया रांची की छह सदस्यीय कमेटी का गठन बीते रविवार को हुआ था। गठित कमेटी को निर्देश दिया गया था कि वे दो दिन के भीतर मौलाना आजाद कॉलेज में गठित शासी निकाय की जांच कर रिपोर्ट सौंपे। जिसके बाद इसी आधार पर अंजुमन इस्लामिया की ओर से जांच रिपोर्ट रांची यूनिवर्सिटी को सौंपी जाएगी। दरअसल जांच कमेटी के गठन को लेकर बीते रविवार को अंजुमन प्लाजा स्थित कार्यालय में अंजुमन इस्लामिया के पदाधिकारियों और कार्यकारणी समिति की बैठक हुई थी। बैठक में अध्यक्ष हाजी मोख्तार अहमद नहीं पहुंचे। तब उनकी जगह पर उपाध्यक्ष मो नौशाद ने बैठक की अध्यक्षता की थी।

छह सदस्यीय कमेटी का किया गया है गठन
अंजुमन इस्लामिया के सचिव डॉ. तारीक की मानें तो मौलाना आजाद कॉलेज के संचालन के लिए बने बॉयलाज में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शासी निकाय के गठन से पहले हायर मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी का गठन करना है। इस सोसाइटी में अंजुमन के सभी सदस्य व पदाधिकारी सीधे सदस्य होंगे। मगर मौजूदा शासी निकाय के अध्यक्ष ने नियमविरूद्ध शासी निकाय का गठन किया था। जिसकी शिकायत रांची यूनिवर्सिटी से की गई थी। जिसके बाद आरयू ने जांच समिति का गठन किया था। आरयू की ओर से गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौलाना आजाद कॉलेज के शासी निकाय के सचिव और गार्जियन प्रतिनिधि की नियुक्ति नियमानुसार नहीं किया गया है। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर रजिस्टार ने आदेश जारी किया है कि अंजुमन इस्लामिया मौलाना आजाद कॉलेज की पैरेंट्स बॉडी है। इसलिए अंजुमन को अधिकृत किया जाता है कि वह शासी निकाय के सचिव व गार्जियन प्रतिनिधि की नियुक्ति की जांच कर अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय को सौंपे। ताकि विश्वविद्यालय आगे की कार्रवाई कर सके। यही कारण है कि अंजुमन इस्लामिया ने जांच के लिए अपने स्तर से छह सदस्यीय टीम का गठन किया है।

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