झारखंड को मिले विशेष राज्य का दर्जा, केंद्रीय योजनाओं में 75 प्रतिशत सहायता की भी झामुमो ने उठायी मांग

न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि झारखंड के लोग विषम परिस्थितियों में रहकर भी राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, ऐसे में राज्य को विशेष सुविधा और सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थिति पूर्वाेत्तर राज्यों के समान है, जहां आज भी बच्चों को शिक्षा के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ऐसे में राज्य को विशेष राज्य का दर्जा और केंद्रीय योजनाओं में 75 प्रतिशत सहायता मिलनी चाहिए।

झारखंड के संसाधनों का राष्ट्र के लिए बलिदान
प्रेस वार्ता में सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड यूरेनियम, कोयला सहित कई खनिजों का प्रमुख उत्पादक है, लेकिन इन खनन गतिविधियों के कारण राज्य के कई हिस्सों में मलेरिया और टीबी जैसी बीमारियां आम हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड ने अपने संसाधनों का बलिदान कर देश के विकास में योगदान दिया है, लेकिन बदले में राज्य को अपेक्षित सहायता नहीं मिल रही।

पलायन और विस्थापन के बाद भी निभा रहा राष्ट्रीय भूमिका
उन्होंने कहा कि झारखंड से बड़ी संख्या में श्रमिक देश के दूरस्थ और दुर्गम इलाकों जैसे लेह-लद्दाख में काम करने जाते हैं। राज्य की श्रमशक्ति राष्ट्र निर्माण की रीढ़ है। इसके बावजूद, हर बार योजनाओं के लिए केंद्र से गुहार लगानी पड़ती है, जो अनुचित है।

रेलवे में भी उपेक्षा, ट्रेनें भेजी जा रही हैं रिजेक्टेड रैक के साथ
झामुमो महासचिव ने आरोप लगाया कि रेलवे क्षेत्र में भी झारखंड को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों में भी पुराने, रिजेक्टेड रैक भेजे जाते हैं। इससे न केवल यात्रियों को परेशानी होती है, बल्कि राज्य के साथ भेदभाव भी झलकता है।

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