रांची की बेटी तहरीन फातमा को अंजुमन इस्लामिया ने किया सम्मानित, पिता अब्दुल रहमान की मेहनत को सराहा

न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की मैट्रिक परीक्षा में रांची सिटी टॉपर बनीं तहरीन फातमा को आज रांची की सबसे बड़ी सामाजिक संस्था अंजुमन इस्लामिया ने विशेष रूप से सम्मानित किया। संस्था द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में तहरीन को 11,000 रूपए की नकद राशि देकर प्रोत्साहित किया गया। साथ ही उनके पिता अब्दुल रहमान को भी समाज में प्रेरणा देने वाली भूमिका निभाने के लिए सम्मानित किया गया। अंजुमन इस्लामिया के कार्यालय में आयोजित इस समारोह में संस्था के महासचिव डॉ. तारिक हुसैन, उपाध्यक्ष मो. नौशाद सहित वरीय सदस्य शाहिद अख्तर, मो. नकीब, मो. नजीब, मो. वसीम, अयूब राजा खान, मो. नदीम, मो. जावेद, नूर आलम और शाहीन अहमद उपस्थित रहे। सभी ने तहरीन की उपलब्धि पर गर्व जताते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

पिता का संघर्ष बना मिसाल
तहरीन फातिमा के पिता अब्दुल रहमान रांची के डेली मार्केट स्थित कपड़ा मंडी में एक ठेले पर कपड़ों की छोटी सी दुकान चलाते हैं। आर्थिक रूप से सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपनी तीन बेटियों की पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं आने दी। बेटा नहीं होने के बावजूद अब्दुल रहमान ने अपनी बेटियों को ही अपना भविष्य माना और दिन-रात मेहनत कर उन्हें पढ़ाया। आज तहरीन की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि संकल्प और समर्पण से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

कई संस्थाओं ने किया सम्मानित
तहरीन फातमा की इस उपलब्धि की सराहना न केवल रांची बल्कि पूरे झारखंड में की जा रही है। रांची के उपायुक्त (DC) और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी तहरीन को सम्मानित कर हौसला अफजाई की है। इसके साथ ही कई सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाएं भी उनके घर पहुंच कर उन्हें बधाई दे रही हैं।

अंजुमन इस्लामिया का सराहनीय कदम
रांची में मुसलमानों की सबसे बड़ी सामाजिक संस्था मानी जाने वाली अंजुमन इस्लामिया का यह कदम न केवल तहरीन के लिए प्रोत्साहन है, बल्कि यह अन्य छात्रों और अभिभावकों को भी यह संदेश देता है कि संसाधनों का अभाव सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकता। संस्था का यह प्रयास समाज में शिक्षा के प्रति सकारात्मक वातावरण बनाने की दिशा में एक अहम योगदान है।

तहरीन ने कहा – “मेरे अब्बू मेरे असली हीरो हैं”
सम्मान समारोह में तहरीन ने भावुक होते हुए कहा, “मेरी इस सफलता के पीछे मेरे अब्बू की मेहनत और मां की दुआएं हैं। वे हर दिन सुबह से देर रात तक ठेले पर मेहनत करते हैं ताकि हम बहनों को पढ़ा सकें। मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, वह सब मेरे माता-पिता और शिक्षकों की वजह से है।

शिक्षा से ही बदलाव संभव
अंजुमन इस्लामिया द्वारा तहरीन को सम्मानित करना यह दर्शाता है कि समाज में शिक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। संस्था का यह कदम न केवल प्रशंसा योग्य है, बल्कि यह भविष्य में और अधिक छात्रों को प्रेरित करेगा कि कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानकर शिक्षा की राह पर आगे बढ़ते रहें।

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