मटन से अधिक दाम में बिकती है ये सब्जी, सावन में नॉनवेज की जगह इसे खाते हैं लोग

5 Min Read

अमन मिश्रा, सिमडेगा
झारखंड में चिकन और मटन से अधिक दाम एक सब्जी की है… यह सुनकर आपको विश्वास नहीं होगा। लेकिन यह सच है। आज हम आपको एक ऐसी सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी कीमत चिकन और मटन से कहीं ज्यादा है। झारखंड में इसकी एक अलग ही पहचान है। इस सब्जी के खाने के शौकिन लोग बड़ी कीमत चुकाकर भी इसका स्वाद लेने से पीछे नहीं हटते। खासकर जो लोग सावन में मांसाहार का सेवन नहीं करते हैं वे इस सब्जी को वैकल्पिक तौर पर इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि ये स्वाद में बिल्कुल मांस जैसा ही लगता है। दरअसल इस सब्जी की खासियत यह है कि यह सिर्फ बारिश के दिनों में ही पाई जाती है। बारिश के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की आजीविका का यह बेहतर साधन भी है। सीजन में इसे बेचकर झारखंड की आदिवासी-मूलवासी महिलाएं अच्छा खासा आमदनी भी कर लेती हैं।

धोने से पहले ऐसे नजर आता है पुटू, साफ होने के बाद हो जाता है सफेद

मॉनसून की पहली दस्तक के साथ बिक्री हो जाती है शुरु
इन दिनों सिमडेगा के ग्रामीण से लेकर शहरों तक के बाजारों में छोटे आलू के आकार की एक सब्जी देखने को मिल रही है। अगर आप सोच रहे होंगे कि ये सब्जी सस्ती होगी तो आपकी सोच गलत है। सच कहा जाए तो इस सब्जी को खरीदना सबकी बस की बात नहीं है। क्योंकि, आलू जैसे दिखने वाले इस सब्जी की कीमत मटन के दाम से कम नहीं है। स्थानीय भाषा में इस सब्जी को पुटू कहा जाता है। इस सब्जी की कीमत करीब 600 रुपए किलो है। चौंकिए मत… यह सही। दरअसल अपने स्वाद की वजह से यह नॉनवेज खाने के शौकिन लोगों को खूब भाती है। वही, इसे नॉनवेज के विकल्प के रूप में खाते हैं। बताते चलें कि मॉनसून की पहली दस्तक के साथ ही र पुटू का मिलना शुरू हो जाता है। इसमें खास बात यह है कि जंगल की पत्तियां पहली बारिश में ही सड़ गल कर खरपतवार बन जाती है और उसी से जमीन के अंदर से पुटू का उगना शुरु हो जाता है। इस पुटू में पौष्टिकता की एक अलग ही सीमा होती है इसे खाने से स्वादिष्ट के साथ भरपूर पौष्टिक प्राप्त होती है। इसलिए इसकी मांग झारखंड के अन्य शहरों में भी खूब है।

जंगल में इस प्रकार मिलती है पुटू

प्राकृतिक तौर पर मिलती है “पुटू”
साल में सिर्फ एक या दो महीने मिलने  वाली ये सब्जी दूरदराज के ग्रामीणों को अच्छी खासी रकम दे जाती है। 60-70  किलोमीटर दूर से महिलाएं इसे बेचने के लिए सिमडेगा शहरी क्षेत्र में  आ रही हैं। क्योंकि, ये सब्जी जंगली इलाकों में प्राकृतिक तौर पर मिलती है। पुटू बेचने के लिए सखुआ के पत्तों से छोटे आकार  का दोना बनाकर उसमें भरकर रखा जाता है। ग्राहक उसे अपनी पसंद के अनुसार छांटकर खरीदते हैं। एक दोना पुटू की कीमत 30-50 रूपया तक चुकानी होती है। .

एक दोने में 30-35 रुपए में पुटू की होती है बिक्री

पुटू को ऐसे साफ कर की जाती है बिक्री
ग्रामीण महिलाएं अहले सुबह उठकर जंगल निकल जाती हैं। साथ में सूप और एक छोटा का डंडा ले जाती हैं। जिसकी मदद से एक-एक पुटू का संग्रह किया जाता है। उसके बाद उसे घर में लाकर सूप में रखकर कर रगड़-रगड़ कर धोया जाता है। तब तक धोया जाता है जबतक कि पुटू सफेद न हो जाए। जब पुटू से सारा मिट्टी छूट  जाता है तब उसे बाजारों में बेचने के लिए लिया जाता है।

हमारे वाट्सअप ग्रुप से लिए इस लिंक पर क्लिक करें :https://chat.whatsapp.com/EVBAiUdCPZGL492hCJH8Mw

WhatsApp Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉 Join Now
Telegram Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉 Join Now
Instagram Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉 Join Now
Share This Article
Exit mobile version