न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड में आफताब अंसारी की संदिग्ध मौत और एक आदिवासी महिला से जुड़ी वायरल शिकायत को लेकर सियासी तापमान चरम पर है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने आज एक बार फिर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी पर खुला हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर तीखा ट्वीट करते हुए कहा कि “एक बेगुनाह की जान लेकर आपको क्या हासिल हुआ?
आदिवासी महिला का नाम लेकर माहौल को जहरीला किया
डॉ. अंसारी ने आरोप लगाया कि बाबूलाल मरांडी ने जानबूझकर एक आदिवासी महिला का नाम लेकर माहौल को जहरीला किया। उन्होंने कहा कि महिला ने न तो कोई लिखित शिकायत दी, न ही किसी पर प्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाया, फिर भी एक युवक को निशाना बनाया गया। आपके बयान जनता भले हल्के में लें, लेकिन पुलिस-प्रशासन उन्हें गंभीरता से लेता है—सिर्फ इसलिए कि आप भाजपा से हैं।”
हिंदू टास्क फोर्स को इंसाफ देने का अधिकार किसने दिया?
इरफान अंसारी ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर किसने तथाकथित संगठनों को सजा देने का लाइसेंस दे दिया।
उनका कहना है कि यह पूरा घटनाक्रम एक “राजनीतिक दबाव की उपज” है, जिसमें पुलिस, भगवाधारी संगठनों और भाजपा नेताओं की भूमिका संदिग्ध है।
मैं खुद निष्पक्ष जांच करवा रहा हूं
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वे इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोषी कोई भी हो—चाहे पुलिस हो या राजनीतिक चेहरा—कानून से नहीं बचेगा। “उम्र के इस पड़ाव पर किसी बेगुनाह की बद्दुआ मत लीजिए।” अंसारी ने मरांडी को आगाह करते हुए ये बातें कही।
पृष्ठभूमि: कैसे शुरू हुआ विवाद?
रामगढ़ में एक महिला के शोषण की बात बाबूलाल मरांडी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से की। जिस हवा मिल गई। उसी के बाद आफताब नामक युवक को हिंदूवादी संगठन के लोगों ने पकड़कर पुलिस को सौंपा। पुलिस ने दावा किया कि आफताब हिरासत से फरार हो गया, जबकि बाद में उसका शव बरामद हुआ। डॉ. अंसारी पहले ही इस मामले को भाजपा समर्थित मॉब टेरर करार दे चुके हैं और संबंधित संगठनों पर प्रतिबंध की मांग कर चुके हैं।
मामला न्याय बनाम नफ़रत की लड़ाई है
झारखंड में आदिवासी अस्मिता, धार्मिक संगठन और प्रशासनिक कार्रवाई के त्रिकोण में यह मामला अब संवेदनशील मोड़ पर है। मंत्री इरफान अंसारी ने अपने ताजा ट्वीट से यह साफ कर दिया कि वे इसे सिर्फ राजनीतिक मसला नहीं, “इंसानियत की लड़ाई” मानते हैं।
अब देखना होगा कि सरकार के स्तर पर जांच और कार्रवाई कितनी तेज होती है। क्या आफताब को वास्तव में न्याय मिल पाता है।