
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
राज्य सरकार द्वारा झारखंड के रिसोर्स शिक्षकों के समायोजन को लेकर किए जा रहे निर्णय ने एक बार फिर विवाद को जन्म दे दिया है। शनिवार को झारखंड समावेशी शिक्षा रिसोर्स संघ की बैठक में सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए विरोध दर्ज किया गया।
“हमसे फिर हुआ धोखा”: संविदा पर 15 वर्षों से दे रहे सेवा
संघ के अनुसार झारखंड में करीब 279 रिसोर्स शिक्षक राज्य के विभिन्न प्रखंडों में झारखंड शिक्षा परियोजना के अंतर्गत समावेशी शिक्षा के तहत विशेष जरूरत वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। ये सभी शिक्षक आरसीआई (भारतीय पुनर्वास परिषद) से प्रमाणित हैं और बीते 15 वर्षों से संविदा पर कार्यरत हैं। बावजूद इसके विभाग अब तकनीकी अड़चनों का हवाला देकर उनके समायोजन में देरी कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश, फिर भी विभाग में टालमटोल?
शिक्षकों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में कार्यरत संविदा रिसोर्स शिक्षकों के स्थायी समायोजन को लेकर स्पष्ट आदेश दिया है — “आरसीआई प्रमाणपत्र और अनुभव के आधार पर समायोजन सुनिश्चित किया जाए।” परंतु, झारखंड सरकार का शिक्षा विभाग कथित रूप से आदेश को नज़रअंदाज़ करते हुए, समायोजन की जगह तकनीकी आपत्तियों के नाम पर शिक्षकों को ‘अलग-थलग’ करने का प्रयास कर रहा है।
“न्याय नहीं मिला तो फिर न्यायालय की शरण लेंगे”
शिक्षकों ने दो टूक कहा कि यदि जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो वे माननीय न्यायालय की शरण में फिर जाएंगे। उनका कहना है, “हम सामान्य नहीं, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाते हैं। हम योग्य हैं, साक्षात्कार से चयनित हैं, और सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी हमारे पक्ष में है। विभाग मनमानी नहीं कर सकता।”
बैठक में शामिल थे ये पदाधिकारी
संघ की बैठक में झूमा सरकार, हैदर रजा, नरायण प्रसाद, और संतोष कुमार सहित झारखंड के विभिन्न जिलों से आए पदाधिकारी उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने और तत्काल समायोजन प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।
