न्यूज स्टॉपेज डेस्क
रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में भर्ती और आकस्मिक मरीजों को दवाओं, सर्जिकल कन्ज्युमेबल और इम्प्लांट की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से निदेशक प्रो. (डॉ.) राज कुमार की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में चिकित्सा अधीक्षक प्रो. (डॉ.) हिरेंद्र बिरुआ, अपर चिकित्सा अधीक्षक, उपाधीक्षक, प्रोक्योरमेंट पदाधिकारी और उप निदेशक (वित्त) शामिल हुए। बैठक में मरीजों के हित में तत्काल प्रभाव से कई अहम निर्णय लिये गये। सबसे पहले, चिकित्सा अधीक्षक को निर्देशित किया गया कि वे एक सक्षम कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति करें, जो आकस्मिक दवाओं, ओ.टी. कन्ज्युमेबल और सुपर स्पेशियालिटी ड्रग्स की निरंतर मॉनिटरिंग करे। साथ ही मरीजों को दवा व सर्जिकल सामग्री की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु एक एसओपी तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिया गया।
मरीजों को केवल जेनेरिक दवाएं ही लिखें
निदेशक ने बताया कि सभी दवाओं, सर्जिकल आइटम्स और अन्य चिकित्सीय सामग्री की सूची ऑनलाइन उपलब्ध है, जिसमें उनकी वस्तुस्थिति भी दिखाई देती है। इसलिए सभी विभागाध्यक्षों और इकाई प्रभारियों को अपने अधीनस्थ चिकित्सकों और रेजीडेंट्स के माध्यम से इन सामग्रियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करते हुए स्टोर में मांग पत्र समर्पित करने को कहा गया है। साथ ही, डॉ. राज कुमार ने सर्वाेच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए सभी चिकित्सकों को सख्त निर्देश दिए कि वे मरीजों को केवल जेनेरिक दवाएं ही लिखें। पूर्व में जारी किए गए कुछ विशेष साक्ष्य आधारित और जेनेरिक दवाओं की सूची के अनुपालन को भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।
दो दिन से अधिक संचिका रखने पर पदाधिकारी पर होगी कार्रवाई
दवाओं व सर्जिकल सामग्री की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रोक्योरमेंट पदाधिकारी को ‘अत्यावश्यक’ लिखते हुए क्रय संचिकाओं की शीघ्र प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी निदेशक ने दिए हैं। यदि कोई संचिका दो दिन से अधिक किसी पदाधिकारी के पास रहती है, तो उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। इसके अतिरिक्त, आयुष्मान भारत योजना के तहत लंबित विपत्रों के कारण उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने हेतु एक समिति गठित की गई है। इस समिति की अध्यक्षता चिकित्सा अधीक्षक करेंगे और विपत्रों का सत्यापन कर भुगतान की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
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