उलेमा का ऐलान: गैर शरई निकाह नहीं पढ़ाएंगे, खर्चीली शादियों का बहिष्कार

न्यूज स्टॉपेज डेस्क
रांची के अंजुमन मुसाफिरखाना में रविवार को मुस्लिम समाज में सुधार को लेकर एक अहम इल्मी मजलिस का आयोजन किया गया। सामाजिक संस्था आम जनता हेल्पलाइन की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य था निकाह को आसान बनाना। फिजूलखर्ची को रोकना और इस्लामी शरीअत के अनुसार विवाह को प्रोत्साहन देना। इस बैठक में शहर के प्रमुख उलेमा, क़ाज़ी, मुफ्ती, मौलाना, पंचायत, तंजीम, सोसाइटी और क्लबों के पदाधिकारी शामिल हुए।

तीन बड़े निर्णय लिए गए
इस मजलिस में सर्वसम्मति से तीन बड़े फैसले लिए गए।
1. पहला निर्णय यह हुआ कि अब शहर के उलेमा और क़ाज़ी गैर शरई निकाह नहीं पढ़ाएंगे। यानी जिन शादियों में डीजे, डांस, बम-पटाखे, नाच-गाना जैसी गैर इस्लामी रस्में होंगी, वे उसमें शरीक नहीं होंगे और ऐसे निकाह पढ़ाने से इनकार करेंगे।

2. दूसरे फैसले में तय किया गया कि समाज के लोग अब फिजूलखर्ची और दिखावे वाली शादियों का बहिष्कार करेंगे। पंचायत, तंजीम और आम नागरिकों ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी शादियों में शरीक न होकर एक सामाजिक संदेश दिया जाए।

3. तीसरा और सबसे सराहनीय फैसला यह रहा कि सामाजिक संस्था आम जनता हेल्पलाइन हर साल 11 गरीब और जरूरतमंद बच्चियों का निकाह अपने खर्च पर कराएगी। संस्था के अध्यक्ष एजाज गद्दी ने बताया कि यह पहल समाज में बराबरी और इंसानियत के पैगाम को आगे बढ़ाएगी।

निकाह मस्जिद में, वलीमा औकात के अनुसार हो
वक्ताओं ने कहा कि आज मुस्लिम समाज में शादियों को इतना खर्चीला और जटिल बना दिया गया है कि बेटियों के निकाह में देरी हो रही है। 30-35 साल की उम्र तक लड़कियां बिना निकाह के रह जा रही हैं। यह केवल आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का सवाल भी है। मौलाना तौफीक कादरी की अध्यक्षता और पत्रकार हाजी फिरोज जिलानी के संचालन में आयोजित इस बैठक में तय हुआ कि निकाह मस्जिदों में हो, वलीमा औकात के अनुसार किया जाए और दहेज पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए।

29 जून को होगी अगली बैठक
इस सिलसिले मेंअगली बैठक 29 जून को आयोजित होगी, जिसका स्थान बाद में घोषित किया जाएगा। यह पहल समाज में निकाह को सरल, सस्ता और शरीअत के अनुसार बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। इस मौके पर मुफ्ती आसिफ मदनी, मौलाना असगर मिस्बाही, राजा अय्यूब खान (अध्यक्ष, पठान तंजीम), मौलाना तल्हा नदवी, मुफ्ती अबु दाऊद कासमी, मुफ्ती तल्हा नदवी, मौलाना जावेद नदवी, हाजी मुख्तार अहमद (अध्यक्ष, अंजुमन), डॉ. तारिक (सचिव), क़ाज़ी नसीरुद्दीन फैजी, क़ाज़ी मसूद फरीदी, हाफिज मिकाइल, सैयद नेहाल अहमद, नसीम गद्दी, डॉ. मौलाना हुजैफा, संपा गद्दी और इस अली सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।

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