
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड में बढ़ती भीड़ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए ‘झारखंड (भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक 2021’ को जल्द से जल्द कानूनी रूप देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। जमीअतुल मोमेनीन चौरासी झारखंड की सरपरस्त कमेटी ने इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बनाते हुए 10 जून को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन सौंपा। इससे पूर्व रांची के मेन रोड स्थित एक हॉल में सरपरस्त कमेटी की बैठक हुई। जिसकी अध्यक्षता हाजी मो. मंज़र साहब ने की। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार से अपील की गई कि झारखंड (भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक 2021 को राज्यपाल की मंजूरी दिलाकर इसे कानून का रूप प्रदान किया जाए।
वर्ष 2022 से लंबित है विधेयक
विधेयक लटका पड़ा है 2021 से गौरतलब है कि यह विधेयक वर्ष 2021 में झारखंड विधानसभा से पारित कर राज्यपाल महोदय को भेजा गया था। हालांकि, राज्यपाल ने कुछ तकनीकी आपत्तियों के साथ विधेयक को पुनर्विचार के लिए मई 2022 में राज्य सरकार को लौटा दिया था। इसके बाद से विधेयक अब तक लंबित पड़ा हुआ है। सरपरस्त कमेटी ने मांग की है कि संशोधन के बाद इस विधेयक को दोबारा राज्यपाल को भेजा जाए ताकि यह विधेयक जल्द से जल्द कानूनी रूप ले सके।

आंदोलन की चेतावनी
सरपरस्त कमेटी के मीडिया प्रभारी शकील अंसारी ने चेतावनी दी है कि यदि राज्य सरकार इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं करती है, तो जमीअतुल मोमेनीन चौरासी झारखंड को चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में लगातार हो रही भीड़ हिंसा की घटनाएं न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती हैं बल्कि इससे सामाजिक सौहार्द भी प्रभावित हो रहा है।
बैठक में शामिल प्रमुख लोग
इस महत्वपूर्ण बैठक में हाजी मो. मंज़र, मो. शमीम अख्तर, मो. जबीउल्लाह, मो. फिरोज अख्तर, अतिकुर्रहमान, अब्दुर्रज्जाक, शकील अंसारी, सरफराज अहमद सहित कई वरिष्ठ सदस्य उपस्थित थे।
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