
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड की राजधानी रांची से शिक्षा की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल की शुरुआत हुई है। आज़ाद बस्ती स्थित मस्जिद ए ज़ैबून निसा में एक अनूठे स्टडी सेंटर की नींव रखी गई है, जिसका उद्देश्य युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक शांत और अनुशासित वातावरण प्रदान करना है। यह रांची की पहली मस्जिद है जहां छात्रों को पढ़ाई के लिए समर्पित एक केंद्र प्रदान किया गया है। खासकर ऐसे छात्र जो आर्थिक या पारिवारिक कारणों से घर में पढ़ाई का अनुकूल वातावरण नहीं पाते, वे इस स्टडी सेंटर में आकर एसएससी बैंकिंग, रेलवे, यूपीएससी या किसी भी अन्य परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। साथ ही दीनी और दुनियावी दोनों प्रकार की तालीम के लिए यह स्थान उपलब्ध रहेगा। इस सेंटर में आने का एक ही उद्देश्य है सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई।
तालीमी इंकलाब की दिशा में एक मजबूत कदम
कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस पहल को सराहा और इसे तालिमी इंकलाब की शुरुआत बताया। असगर मिस्बाही ने कहा कि यह झारखंड की पहली मस्जिद है जहां इस प्रकार की शैक्षणिक सुविधा शुरू की गई है, जो मस्जिदों की भूमिका को समाज निर्माण में और अधिक सशक्त बनाती है। मुफ्ती अनवर कासमी ने कहा कि इस पहल से इलाक़े में शिक्षा का माहौल विकसित होगा और युवाओं को बेहतर दिशा मिलेगी। इबरार अहमद ने वक्फ बोर्ड की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। जुनैद आलम ने मस्जिद कमेटी की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए एक प्रेरणा बताया।
स्टडी सेंटर के उद्घाटन अवसर पर कई शिक्षाविद, समाजसेवी और स्थानीय प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहे। रांची यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नेजामुद्दीन जुबैरी, फ्रेंड्स ऑफ वीकर सोसाइटी के अध्यक्ष तनवीर अहमद, खालिद खलील, गयासुद्दीन, मुन्ना और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

युवाओं के लिए आत्मविश्वास और दिशा का केंद्र
यह स्टडी सेंटर युवाओं को न केवल एक अध्ययन स्थल प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास, अनुशासन और लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का अवसर भी देगा। यह पहल उन छात्रों के लिए खास मायने रखती है जो सीमित संसाधनों में भी सफलता की चाह रखते हैं। रांची की यह पहल केवल एक स्टडी सेंटर की शुरुआत नहीं है, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत है। मस्जिदों को शिक्षा का केंद्र बनाकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। यह प्रयास झारखंड सहित पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।
कमेटी और आयोजन टीम की भूमिका
इस आयोजन को सफल बनाने में मस्जिद कमेटी की अहम भूमिका रही। अध्यक्ष कमर सिद्दीकी, सचिव मौजीबुल हक, उपाध्यक्ष हाजी मुन्ना, मक़सूद, आज़ाद, नौशाद, गुड्डू, शाहबाज़ अख्तर, इरफान राजा, परवेज़, अलीम खान सहित पूरी टीम ने इस कार्य को पूरा करने में योगदान दिया। कार्यक्रम की तैयारी और संचालन में फहीम (उर्फ पप्पू), दानिश, फुरकान, सुफयान, फरहान, अयान, रेहान, शाहबाज़ इक़बाल, इमाम सादिक और हाफ़िज़ तहसीन जैसे युवाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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