
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गहरे शोक में हैं। गुरुवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए नेमरा गांव की ऐतिहासिक और संघर्षमयी विरासत को याद किया।
शहादत की गवाही देती मिट्टी
नेमरा की यह वीर भूमि, जहां कभी उनके दादा सोबरन मांझी की हत्या हुई थी, झारखंड आंदोलन की नींव रखे जाने का केंद्र बनी। हेमंत सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा —
“नेमरा की यह क्रांतिकारी और वीर भूमि, दादाजी की शहादत और बाबा के अथाह संघर्ष की गवाह है। यहां के जंगलों, नालों-नदियों और पहाड़ों ने क्रांति की उस हर गूंज को सुना है – हर कदम, हर बलिदान को संजोकर रखा है। नेमरा की इस क्रांतिकारी भूमि को शत-शत नमन करता हूं। मुख्यमंत्री ने इस पोस्ट में भावभीनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की वीर शहीद सोना सोबरन मांझी अमर रहें! झारखंड राज्य निर्माता वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें!”

नेमरा में 10 दिन का प्रवास
अपने पिता के अंतिम संस्कार के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 10 दिनों तक पैतृक गांव नेमरा में ही रुकेंगे। परिवार और पारंपरिक कर्मकांडों के साथ वे शोक-संवेदना व्यक्त करने आ रहे लोगों से भी मुलाकात करेंगे।
बाबा के संघर्ष की जड़ें यहीं से निकलीं
सोबरन मांझी की हत्या के बाद ही दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने पढ़ाई छोड़कर महाजनी प्रथा के खिलाफ जन आंदोलन की शुरुआत की थी। झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई में उन्होंने जंगलों और पहाड़ों में छिपकर, परिवार से दूर रहकर संघर्ष किया। नेमरा की यह भूमि उसी आंदोलन का मूक साक्षी रही है।
नेमरा: क्रांति की चेतना का केंद्र
यह गांव न सिर्फ शहीदों की धरती है, बल्कि सामाजिक चेतना और अधिकार की लड़ाई का प्रतीक भी है। यहां की मिट्टी ने बलिदानों की उस पूरी श्रृंखला को सहेजा है जिसने झारखंड की पहचान गढ़ी।
