
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और इस्लामी संस्थाओं की अस्मिता को बनाए रखने के लिए एदार-ए-शरिया ने बड़ा ऐलान किया है। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के विरोध में 21 अगस्त 2025 से पूरे राज्य में औक़ाफ़ सुरक्षा यात्रा” निकाली जाएगी, जिसका नेतृत्व मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी और नाज़िम-ए-आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी करेंगे। यह निर्णय खानकाह मजहरिया मुनअमिया, फिरदौस नगर, रांची में हुई एक विशेष बैठक के बाद लिया गया। जिसकी अध्यक्षता मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी ने की। संचालन नाज़िम-ए-आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने की। शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से हुई, जिसे कारी आफ़ताब ज़िया कादरी (इमाम व खतीब, सेंट्रल मस्जिद डोरंडा) ने पेश किया।
दारुल क़ज़ा और इफ्ता को मिलेगा विस्तार
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि झारखंड के कई जिलों में दारुल क़ज़ा और दारुल इफ्ता की नई शाखाएं स्थापित की जाएंगी। इसके तहत सिमडेगा, गढ़वा, घोरथुम्बा, जामताड़ा, गोड्डा और चाईबासा में दारुल क़ज़ा की शाखाएं स्थापित होंगी। वहीं, गुमला, लातेहार, चतरा, बरही, नवादा, डुमरी, पेपचो में दारुल इफ्ता की शाखाएं स्थापित होंगी।

6 अगस्त को राज्य स्तरीय सम्मेलन
6 अगस्त 2025 को प्रातः 10 बजे, रांची में दारुल क़ज़ा व इफ्ता से जुड़े काज़ी शरीयत, मुफ़्ती, इमाम और जिला प्रतिनिधियों का राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें हुज़ूर अमीने शरीयत मुख्य अतिथि होंगे।
पंजीकृत विवाह प्रमाणपत्र जारी करेगा एदार-ए-शरिया
बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए यह भी तय किया गया कि झारखंड में अब पंजीकृत विवाह प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा, जो वैवाहिक दस्तावेज के रूप में सामाजिक और कानूनी रूप से मान्य होगा।
11 अगस्त को रांची में उर्से क़ाएदे अहले सुन्नत
एदार-ए-शरिया झारखंड, सुन्नी बरेलवी सेंट्रल कमेटी और तंजीम अहले सुन्नत रांची के संयुक्त तत्वावधान में 11 अगस्त 2025 को उर्से क़ाएदे अहले सुन्नत का आयोजन रांची में भव्य रूप से किया जाएगा। इसकी सरपरस्ती करेंगे हज़रत मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली, और संचालन करेंगे मौलाना डॉ. ताजुद्दीन रिजवी। बैठक का समापन हज़रत मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी की विशेष दुआ के साथ हुआ।
एदार-ए-शरिया मुसलमानों और राष्ट्र की धरोहर: मौलाना शिबली
मौलाना सैयद शाह अलकमा शिबली कादरी ने कहा एदार-ए-शरिया केवल एक संस्था नहीं, बल्कि मुसलमानों की सामाजिक, धार्मिक और कानूनी पहचान की प्रतीक है। इसकी स्थापना 28 जून 2001 को हुई थी, और तब से यह झारखंड सहित पूरे भारत में शिक्षा, न्याय, स्वास्थ्य, धार्मिक जागरूकता और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में कार्य कर रहा है।
बैठक में शामिल प्रमुख उलेमा व प्रतिनिधि
इस विशेष बैठक में कई प्रमुख उलेमा, काज़ी, इमाम, मुफ़्ती और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें मौलाना शाह अबू तोराब तिबरानी, कारी अय्यूब रिजवी, मुफ़्ती जमील अहमद मिस्बाही, मौलाना डॉ. ताजुद्दीन रिजवी, मौलाना मसूद फरीदी, मुफ़्ती इजाज़ हुसैन मिस्बाही, मुफ़्ती वसीम रज़ा, कारी आफ़ताब ज़िया कादरी, मुफ्ती आक़िब जावेद, कारी आबिद रज़ा फैज़ी, कारी मुजीब-उर-रहमान, मौलाना शमशाद हुसैन मिस्बाही, मौलाना जमाल वारिस, अकील-उर-रहमान, मुहम्मद इस्लाम, हाफ़िज़ शाबान रज़ा, मौलाना मुहम्मद हुसैन हबीबी, इरफ़ान मिस्बाही, मुबाशिर रज़ा, कारी रेहान रज़ा समेत अनेक गणमान्य मौजूद थे।
