
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड सरकार ने राज्यभर में 4339 नए उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। इस घोषणा के साथ ही पूरे राज्य में उर्दू भाषा प्रेमियों, शिक्षाविदों और खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के बीच उत्साह और संतोष की भावना देखने को मिल रही है।
उर्दू को मिली इज़्ज़त : जबीउल्लाह
जमीअतुल मोमिनीन 84 झारखंड के सदस्य और सरपरस्त मोहम्मद जबीउल्लाह ने इस फैसले को “उर्दू भाषा के सम्मान” की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम करार दिया। उन्होंने बताया कि पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी का वर्षों का संघर्ष अब जाकर रंग लाया है। वह लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे कि राज्य में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित हो।

हफीजुल और इरफान की अहम भूमिका
मोहम्मद जबीउल्लाह का कहना ह किअल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भी उर्दू शिक्षकों की बहाली को लेकर सरकार पर निरंतर दबाव बनाया। इन दोनों नेताओं ने उर्दू भाषा के भविष्य और युवाओं की नियुक्ति को लेकर लगातार आवाज़ उठाई। उनकी सक्रियता और प्रतिबद्धता का ही यह परिणाम है कि यह घोषणा साकार हो सकी।
उर्दू स्नातकों के लिए नई उम्मीद
यह फैसला उन हजारों प्रशिक्षित उर्दू स्नातकों के लिए भी राहत लेकर आया है जो लंबे समय से सरकारी बहाली की बाट जोह रहे थे। इसके साथ ही यह निर्णय न सिर्फ शिक्षा जगत में बल्कि सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को मजबूती देने वाला भी साबित होगा।
पारदर्शिता से होगी बहाली : जबीउल्लाह
मोहम्मद जबीउल्लाह ने उम्मीद जताई कि यह बहाली प्रक्रिया पारदर्शी और तेज़ गति से पूरी की जाएगी ताकि योग्य उम्मीदवारों को जल्द अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सरकार की समावेशी और सकारात्मक सोच का प्रमाण है।
जिलों से आ रहे हैं शुभकामना संदेश
राज्य के अलग-अलग जिलों से इस निर्णय पर समर्थन और शुभकामनाएं मिल रही हैं। यह केवल शैक्षणिक नीति नहीं, बल्कि झारखंड की बहुभाषी संस्कृति और अल्पसंख्यक सम्मान की भावना का परिचायक भी बन गया है।
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