
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड सरकार द्वारा उर्दू सहायक शिक्षक के रिक्त 3712 पदों को सरेंडर कर “सहायक आचार्य” नाम से नए पद सृजित करने और ग्रेड पे को 4200 से घटाकर 2400 किए जाने पर शिक्षा जगत में तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इस फैसले को लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों और उर्दू से जुड़े संगठनों ने इसे भाषा और योग्यता के साथ अन्याय बताया है। “आमया” संगठन के अध्यक्ष एस अली ने इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठाते हुए इसे उर्दू भाषा के अस्तित्व और उसकी गरिमा पर सीधा प्रहार करार दिया है।
कई बार की गई बहाली की कोशिशें, हर बार अधूरी
1999 में बिहार सरकार द्वारा बनाए गए 15,000 उर्दू सहायक शिक्षक पदों में से झारखंड को 4,401 पद मिले। 2008, 2010 और 2011 में बहाली की प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन या तो परीक्षा नहीं हो पाई या परिणाम तकनीकी कारणों से रद्द कर दिए गए। जेपीएससी और जैक द्वारा तीन विज्ञापनों के तहत लाखों रुपये ड्राफ्ट के रूप में अभ्यर्थियों से लिए गए, लेकिन बहाली पूरी नहीं हुई। न परीक्षा दोबारा हुई और न ही राशि लौटाई गई।

उर्दू टेट पास अभ्यर्थियों की उपेक्षा?
-2013 में झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा कराई गई टेट परीक्षा में कक्षा 1-5 के लिए 812 और कक्षा 6-8 के लिए 1195 अभ्यर्थी उर्दू टेट उत्तीर्ण हुए। इसके बावजूद स्नातक प्रशिक्षित टेट पास अभ्यर्थियों को काउंसलिंग से वंचित रखा गया, जिससे केवल 701 अभ्यर्थियों की ही नियुक्ति हो सकी।
-2016 की टेट परीक्षा में 623 (1-5) और 899 (6-8) उर्दू टेट पास अभ्यर्थी तैयार थे, लेकिन उन्हें भी नियुक्ति से दूर रखा गया।
सूचना आयोग और अल्पसंख्यक आयोग ने भी माना विभाग की गलती
2014 में राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट रूप से माना कि 4401 पदों में कक्षा 6-8 के लिए भी पद हैं। एस अली कहा कि 2015 में राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि इंटर प्रशिक्षित वेतनमान में 3712 रिक्त पदों को स्नातक टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से भरा जाए, लेकिन यह आदेश भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
कैबिनेट की मुहर, पर विरोध बरकरार
24 फरवरी 2023 को कैबिनेट ने संकल्प संख्या 259 के तहत 701 कार्यरत पदों को छोड़ शेष 3712 पदों को गैर-योजना मद में स्थानांतरित कर “सहायक आचार्य” पदनाम से नए पद सृजित करने की स्वीकृति दी। यहीं से विरोध की चिंगारी तेज हो गई।
हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे अभ्यर्थी
एस अली ने बताया कि 3712 पदों को टेट पास अभ्यर्थियों से भरने की मांग को लेकर WPC No-2411/2024 पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। इस याचिका में तर्क दिया गया है कि योग्य और परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को छोड़कर पदों का प्रत्यार्पण न केवल अवैध है बल्कि संविधानिक अधिकारों का हनन है।
योग्य अभ्यर्थियों के साथ पक्षपात कर रही सरकार
एस अली का कहना है, “जिन अभ्यर्थियों ने उर्दू टेट पास किया, वे शिक्षक बनने की पात्रता रखते हैं। सरकार उन्हें अवसर देने की बजाय पदों का नाम बदल रही है, वेतनमान घटा रही है और योग्य अभ्यर्थियों के साथ पक्षपात कर रही है।” उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कैबिनेट के निर्णय पर पुनर्विचार कर उसे स्थगित करने की मांग की है।
क्या है प्रमुख मांगें
1. 3712 रिक्त उर्दू सहायक शिक्षक पदों को सरेंडर करने का निर्णय तुरंत रद्द किया जाए।
2. “सहायक आचार्य” पदनाम की जगह “उर्दू सहायक शिक्षक” ही रखा जाए।
3. ग्रेड-पे 4200 को बहाल किया जाए।
4. 2016 के टेट पास 899 (6-8) और 623 (1-5) अभ्यर्थियों से सीधी बहाली की जाए।
गुलदस्ते वालों को शिक्षक मुद्दे से कोई सरोकार नहीं
एस अली ने यह भी कटाक्ष किया कि “जिनका शिक्षक बहाली से कोई संबंध नहीं, वे सिर्फ बधाई और गुलदस्ते देने में व्यस्त हैं। जबकि जिनका भविष्य इससे जुड़ा है, वे हाईकोर्ट की शरण में हैं।
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