
– झारखंड की सबसे बड़ी राजनीतिक आवाज़ खामोश
– गंगाराम अस्पताल में ली अंतिम सांस, झारखंड में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित

न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड आंदोलन के अग्रदूत और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सुबह अंतिम सांस ली। शिबू सोरेन के निधन की पुष्टि होते ही पूरे झारखंड और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। उनके पार्थिव शरीर को आज शाम रांची लाया जाएगा।
लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे
शिबू सोरेन को पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिससे उनके शरीर के बाईं ओर पैरालिसिस हो गया था। वे पिछले एक महीने से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे और उनकी देखभाल न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग की टीम कर रही थी। लंबे समय से वे किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। उन्हें डायबिटीज थी और हार्ट की बायपास सर्जरी भी हो चुकी थी। बीते कुछ दिनों से उनकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई थी।

देशभर के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगाराम अस्पताल पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, मीसा भारती, मनोज झा और राजद के कई नेताओं ने भी अस्पताल पहुंचकर परिवार से मुलाकात की।
राजकीय शोक की घोषणा
झारखंड सरकार ने शिबू सोरेन के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। JMM प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज रांची लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि रामगढ़ स्थित उनके नेमार गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जीवन यात्रा: संघर्ष से सत्ता तक
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। मात्र 13 वर्ष की उम्र में उनके पिता की हत्या महाजनों ने कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और महाजनों के खिलाफ संघर्ष का रास्ता चुना।
राजनीतिक सफर — एक नज़र में
: 1973: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का गठन
: 1980–2014: आठ बार लोकसभा सदस्य
: 1998–2002: राज्यसभा सदस्य
: 2004, 2006: केंद्र सरकार में कोयला मंत्री
: 2005, 2008, 2010: तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री
: संसद की कई महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य भी रहे
विवाद और इस्तीफे
UPA शासनकाल में कोयला मंत्री रहते हुए चिरकुंडी हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बावजूद वे लगातार झारखंड और देश की राजनीति में सक्रिय बने रहे।
झारखंड गूंजा: “शिबू सोरेन अमर रहें”
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में ‘शिबू सोरेन अमर रहें’ के नारों के साथ कार्यवाही स्थगित कर दी गई। उनका जाना एक युग का अंत माना जा रहा है।
