
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
राजधानी रांची में 31 मई और 1 जून को आयोजित ‘झारखंड कैंसर संवाद’ में वह दृश्य देखने को मिला, जब कैंसर से जिंदगी की जंग जीत चुके कैंसर सर्वाइवर्स ने अपने जज्बे और हौसले से सैकड़ों लोगों की आंखें नम कर दीं। दो दिवसीय इस आयोजन में राज्यभर से आए 350 से अधिक चिकित्सकों, विशेषज्ञों और कैंसर से जूझ चुके योद्धाओं ने भाग लिया और कैंसर के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण रहा जब कैंसर सर्वाइवर्स मीट में मंच पर उन लोगों ने अपने जीवन की सच्ची और प्रेरक कहानियां साझा कीं, जिन्होंने मौत के मुंह से वापस लौटकर न सिर्फ अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर लाया, बल्कि दूसरों के लिए उम्मीद की किरण भी बने। किसी ने कई कीमोथेरेपी के बाद भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा, तो किसी ने बीमारी से लड़ते हुए अपने बच्चों को बड़ा किया।
कैंसर से जीत कर नई शुरूआत की
कैंसर एक अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है, ये शब्द बोले कैंसर से जूझ कर उसे हराने वाले रांची के योद्धा बिरसा कच्छप के। जिन्होंने अपनी बीमारी के दौरान भी न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि दूसरों को भी स्क्रीनिंग के लिए प्रेरित किया। बीमारी के दौरान भी काम करते रहे और आज पूरी तरह से स्वस्थ्य हो चुके हैं। ऐसे कई युवा इस कार्यक्रम में मिले जिन्होंने अपने जज्बे से यह बताया कि कैंसर को हराकर एक नई शुरूआत की जा सकती है।

सिर्फ दवाइयों से नहीं, मानसिक मजबूती से लड़ी जाती है
डॉ कुमार सौरभ ने कहा कि कैंसर से लड़ाई सिर्फ दवाइयों से नहीं, समय पर पहचान और मानसिक मजबूती से लड़ी जाती है। डॉ श्वेता नारायण ने महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे स्तन और गर्भाशय कैंसर पर चिंता जताते हुए नियमित जांच की जरूरत बताई। कार्यक्रम के समन्वयक कृष्ण यादव ने बताया कि यह आयोजन डॉक्टर कुमार सौरभ, डॉ श्वेता नारायण, डॉ आफताब आलम, डॉ अमितेश आनंद और डॉ मनमोहन अखौरी के मार्गदर्शन में हुआ। सभी सहभागियों ने अंत में कैंसर मुक्त झारखंड के लक्ष्य को लेकर एकजुट होने की शपथ ली। झारखंड कैंसर संवाद में यह साबित किया गया कि साहस, सही इलाज और समय पर जांच मिल जाए, तो कैंसर जैसी बीमारी को हराया जा सकता है।
