
न्यूज स्टॉपेज डेस्क
झारखंड राज्य में टीबी (यक्ष्मा) मरीजों के समय पर निदान और प्रभावी इलाज को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब टीबी मरीजों के सैंपल की ट्रांसपोर्टेशन सेवा डाक विभाग के सहयोग से संचालित की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार और डाक विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ रांची सदर अस्पताल से
इस पहल की औपचारिक शुरुआत गुरुवार, 24 जुलाई को अपराह्न 1 बजे रांची सदर अस्पताल के टीबी बाह्य विभाग (द्वितीय तल) में की गई। इस उद्घाटन कार्यक्रम का नेतृत्व सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने किया। इस अवसर पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. एसके बास्के, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शशि टोप्पो, डाक विभाग के प्रतिनिधि राकेश कुमार राय, जिला कार्यक्रम समन्वयक (DPC) सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी और संबंधित टीबी नियंत्रण कर्मी उपस्थित रहे।

कैसे काम करेगी नई सैंपल ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था?
इस नई पहल के अंतर्गत टीबी मरीजों के सैंपल अब भारतीय डाक विभाग के माध्यम से रांची के ईटकी स्थित इंटरमीडिएट रेफरल लैब (IRL) तक पहुँचाए जाएंगे।
प्रमुख बिंदु:
-सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) से मरीजों के सैंपल एकत्रित किए जाएंगे।
-ये सैंपल एक सुव्यवस्थित ट्रांसपोर्टेशन चैनल के जरिए IRL, ईटकी भेजे जाएंगे।
-डाक विभाग के माध्यम से भेजे गए सैंपलों की ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
क्यों अहम है यह कदम?
टीबी जैसी गंभीर बीमारी में समय पर जांच और सटीक निदान अत्यंत आवश्यक होता है। यह नई ट्रांसपोर्टेशन प्रणाली जांच प्रक्रिया को तेज, भरोसेमंद तथा लॉजिस्टिक रूप से बेहतर बनाएगी। इससे जांच रिपोर्ट समय पर उपलब्ध होंगी, जिससे मरीजों को तत्काल इलाज मिल सकेगा और संक्रमण फैलने की संभावना को रोका जा सकेगा।
स्वास्थ्य विभाग की पहल की सराहना
सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने इस अवसर पर कहा यह एक अभिनव पहल है जो स्वास्थ्य विभाग और डाक विभाग के आपसी सहयोग का प्रतीक है। इससे दूर-दराज के क्षेत्रों में भी टीबी मरीजों के सैंपल समय पर जांच केंद्र तक पहुंच सकेंगे।
स्वास्थ्य तंत्र को और मजबूत बनाएगी
डिस्ट्रिक टीबी ऑफिसर एसके बास्के ने कहा कि टीबी उन्मूलन की दिशा में यह संयुक्त पहल झारखंड के स्वास्थ्य तंत्र को और मजबूत बनाएगी। डाक विभाग की भागीदारी से सरकारी सेवाओं की पहुंच और गति — दोनों में सुधार होगा। यह मॉडल आने वाले समय में अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
